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याद आरही है...
तेरा शरमाना, तेरी वोह झुकी पलके याद आरही है,
तेरी हसी की खिलखिलाहट कानो को लुभा रही,
मैं आंखे बंद करु तो तू, आंखे खोलू तू,
हर किसी मे बस तेरी सूरत नज़र आरही है।।
तेरा चहेरा गुल की तरहा खुशनुमा वो शादाब,
यह शबनम की बूंदे तेरे नूर से जगमगा रही है।
आज तू बहोत याद आरही है,
आज तू बहोत याद आरही है।।
#WritcoAnthology
तेरी हसी की खिलखिलाहट कानो को लुभा रही,
मैं आंखे बंद करु तो तू, आंखे खोलू तू,
हर किसी मे बस तेरी सूरत नज़र आरही है।।
तेरा चहेरा गुल की तरहा खुशनुमा वो शादाब,
यह शबनम की बूंदे तेरे नूर से जगमगा रही है।
आज तू बहोत याद आरही है,
आज तू बहोत याद आरही है।।
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