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तुम्हारी ज़िम्मेदारी
जब आप सच बोलना,
सच जीना शुरू करते हो न,
भीड़ कम होने लगती हैं,
साथ छूटने लगते हैं,
और आप अकेले पड़ जाते हो,
बस यही समय है,
चुनने का,
छूट जाने की ग्लानि से भरा,
अकेलापन चुनोगे,
या झूठी समझ से खाली हुआ,
बेफ़िक्र एकांत चुनोगे,
तुम... तुम्हारी पहली ज़िम्मेदारी हो।
©jignaa___
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