...

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मेरी मां
ना जाने कैसे जान लेती है,

बिना कहे सब पहचान लेती है।

सच पता होते हुए भी, वो

मेरे झूठ को मान लेती है।

खिला मुझे भर पेट , वो

खुद भूखी सोती है,

आने नही देती आंसू एक भी आंख मेरी में,

मानो उसके लिए अनमोल मोती है।

अगर लगे चोट मुझे मामूली भी,

तो उसकी अंखियां बहती है।

ओढ़ाके मुझको कंबल वो, खुद

ठंड कड़ाके की सहती है।

ना जाने कैसे जान लेती है,

बिना कहे सब पहचान लेती है।
















© Andy 420...........