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ख़बर न हुई
बा-ख़बर थे हाल-ए-दिल से तो, क्यों मेरे तन्हा दिल की उन्हें ख़बर न हुई,
उगे ये शम्स हर रोज ही ज़मीं पे, पर मेरी आँखों में अब तलक़ सहर न हुई।

कोशिशें कई करी हमनें, उनके गोशा-ए-दिल में आशियाँ बनाने की पर,
तदबीर कोई काम न आयीं मेरे और कोशिशें कभी कारगर न हुई।
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