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नसीहत
सीख बड़ी खुबसूरत है, अच्छी संगत ही संगत है,
बुरा कहने,सोचने,सुनने,देखने से हर बात बदसूरत है,

होता कहाँ है पर ऐसा, ज़माने में ही गंदगी भरी,
जिसने अपनाया सदाचार, उसको मुसीबत आन पड़ी,

महामारी तो ठीक भी हो जाए,फरेब का कोई इलाज़ नहीं,
सलाहों से भरमार जहां, पर किसपे करें विश्वास सही,

बीमार है हर शख़्स, मन में हैवानियत का कीड़ा लिए,
बुरा करता है सीना तान, बिना इसके कौन जीए,

स्वार्थ रहित नहीं दुनिया में, फ़िर ये नसीहत किस काम की,
इंसानियत है मजबूर खड़ा,यहाँ नेकी है बस नाम की।
© khwab