इम्तिहान
जबसे खुली है आंख
कुछ और तो नहीं याद
याद है बस इम्तिहान
हर वक्त हर पल
जाने कितनी कसौटियां
जैसे तारों पर कसे गए
हो हम
जैसे कसे जाते हैं
किसी वाद्ययंत्र के तार
या फिर
किसी चारपाई की निवार
या धनुष की प्रत्यंचा
हम थोड़ा बने
उससे...
कुछ और तो नहीं याद
याद है बस इम्तिहान
हर वक्त हर पल
जाने कितनी कसौटियां
जैसे तारों पर कसे गए
हो हम
जैसे कसे जाते हैं
किसी वाद्ययंत्र के तार
या फिर
किसी चारपाई की निवार
या धनुष की प्रत्यंचा
हम थोड़ा बने
उससे...