...

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मिलन की आश
तन ही तन अगन गोरी,
रग रग चिंगारी !
यौवन का जग शौर शौर,
हूर सी सुनहरी ।

गर्म हवा के रूख से,
गोरी तन भीगजाए !
उफ्फ़ पिया की याद में,
रात बड़ी तड़पाए ।

कुच नितंब व्यसन भरे हैं,
बहने को रस !
शबाब शराब सा नशीला,
होश न है जोश ।
© Dolly Jat


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