जमाना जी लिया है!
ज़हर दिलबर जुदाई का मैंने पी लिया है।
दूर कैसे हुए मन को तो मन ने छु लिया है।
अधर सींकर कटीं उम्रें मगर टूटा नहीं।
तेरे लब्जों में ढलकर जमाना जी लिया है।
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दूर कैसे हुए मन को तो मन ने छु लिया है।
अधर सींकर कटीं उम्रें मगर टूटा नहीं।
तेरे लब्जों में ढलकर जमाना जी लिया है।
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