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सितम- ए- मोहब्बत...!!
यह आज इतनी आंखें लाल रंग से क्यों सजी है तुम्हारी? , किसकी याद में अपनी आंखों को रुला बैठे हो....!!
कल तक बड़ा खुशनुमा था तुम्हारा अंदाज , आज किन की दी हुई तकलीफों को माथे पर सजा बैठे हो ....!!
यह मसला मोहब्बत का था क्या...?
पहले सोचा होता नासमझ , सुना है ..., तुम किसी बेवफाह से दिल लगा बैठे हो .....!!
ये रोज वक्त निकालकर तुम किसका इंतजार करते हो.....?
जरा बताओ कभी अपनी मोहब्ब्त के सीतम की दास्तान ,क्यों बेवजह किसी से इकरार करते हो...?
ये तुम्हारा बात- बात पर खुद को अजिय्यत देना .....,
जरा खुद की कैफियत को समझो, क्यों तुम दिल और दिमाग के बीच दरार करते हो....?
तुम्हारी इज्तिराब-सी ये आंखें गवाही दे रही है, फिर इस हद तक ये तुम्हारे दिल के सबूत झूठे क्यों है...?
शोरीदा होकर तुम किसे मना रहे हो ? कुछ तेरे अपने ही थे , तो आज वो इस कदर रूठे क्यों है.....?
क्या कुछ नजर आए ? तुम्हे सितम अपनी मोहब्बत के...,
एक सवाल- सा है , पुछ लू? जरा अब बताओ वो तुम्हारी मोहब्ब्त थी, तो ये तुम्हारे बेकसूर जज्बात इस तरह आज टूटे क्यों है.....?
ये सितम - ए - मोहब्बत का दौर है जनाब, तो उसे भूल जाओ ना... तुम....!!
ये जुबा की निस्बंधता को सजाकर , तुम आज चुप बैठे क्यों हो....??
कुछ तो बताओ? ये क्या दल- बदल है? तुम आज इस क़दर टूटे क्यों हो.....?
__ JANKI KUNWAR
© All Rights Reserved
#hate #sitam #dard
कल तक बड़ा खुशनुमा था तुम्हारा अंदाज , आज किन की दी हुई तकलीफों को माथे पर सजा बैठे हो ....!!
यह मसला मोहब्बत का था क्या...?
पहले सोचा होता नासमझ , सुना है ..., तुम किसी बेवफाह से दिल लगा बैठे हो .....!!
ये रोज वक्त निकालकर तुम किसका इंतजार करते हो.....?
जरा बताओ कभी अपनी मोहब्ब्त के सीतम की दास्तान ,क्यों बेवजह किसी से इकरार करते हो...?
ये तुम्हारा बात- बात पर खुद को अजिय्यत देना .....,
जरा खुद की कैफियत को समझो, क्यों तुम दिल और दिमाग के बीच दरार करते हो....?
तुम्हारी इज्तिराब-सी ये आंखें गवाही दे रही है, फिर इस हद तक ये तुम्हारे दिल के सबूत झूठे क्यों है...?
शोरीदा होकर तुम किसे मना रहे हो ? कुछ तेरे अपने ही थे , तो आज वो इस कदर रूठे क्यों है.....?
क्या कुछ नजर आए ? तुम्हे सितम अपनी मोहब्बत के...,
एक सवाल- सा है , पुछ लू? जरा अब बताओ वो तुम्हारी मोहब्ब्त थी, तो ये तुम्हारे बेकसूर जज्बात इस तरह आज टूटे क्यों है.....?
ये सितम - ए - मोहब्बत का दौर है जनाब, तो उसे भूल जाओ ना... तुम....!!
ये जुबा की निस्बंधता को सजाकर , तुम आज चुप बैठे क्यों हो....??
कुछ तो बताओ? ये क्या दल- बदल है? तुम आज इस क़दर टूटे क्यों हो.....?
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