सितम- ए- मोहब्बत...!!
यह आज इतनी आंखें लाल रंग से क्यों सजी है तुम्हारी? , किसकी याद में अपनी आंखों को रुला बैठे हो....!!
कल तक बड़ा खुशनुमा था तुम्हारा अंदाज , आज किन की दी हुई तकलीफों को माथे पर सजा बैठे हो ....!!
यह मसला मोहब्बत का था क्या...?
पहले सोचा होता नासमझ , सुना है ..., तुम किसी बेवफाह से दिल लगा बैठे हो .....!!
ये रोज वक्त निकालकर तुम किसका इंतजार करते हो.....?
जरा बताओ कभी अपनी मोहब्ब्त के सीतम की दास्तान ,क्यों बेवजह किसी से इकरार करते हो...?
ये तुम्हारा बात-...
कल तक बड़ा खुशनुमा था तुम्हारा अंदाज , आज किन की दी हुई तकलीफों को माथे पर सजा बैठे हो ....!!
यह मसला मोहब्बत का था क्या...?
पहले सोचा होता नासमझ , सुना है ..., तुम किसी बेवफाह से दिल लगा बैठे हो .....!!
ये रोज वक्त निकालकर तुम किसका इंतजार करते हो.....?
जरा बताओ कभी अपनी मोहब्ब्त के सीतम की दास्तान ,क्यों बेवजह किसी से इकरार करते हो...?
ये तुम्हारा बात-...