...

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बचपन
एक दिन भूली हुई तस्वीर से एक हसता हुआ चेहरा पाया था

लौट गया उन यादों में जहां बचपन मेरा समाया था।

दादू से मिले 2 रुपये में दुनिया जीत आता था

दादी के साथ बैठकर खूब बतियता था ।।

सरपट बाइक देख कर साईकल की इच्छा जताता था ।।

याद है मुझे जब मैं चाबी वाली कार लाया था

पी पी करके पूरे घर में चलाया था

लड़कर जब भी मोहल्ले से घर आता था

डांट मां की ओर मार पापा की खता था

जब भी रूठा पापा ने कुछ ना कुछ दिलाया था

नींद ना आने पर मां ने सारी रात जागकर सुलाया था

बात तब की है जब मैंने दूध में ब्रॉनविटा मिलाकर पीता था

वो बचपन था मेरा जहां में खुल कर जीता था
© rahulchopra1120


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