...

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डर है मुझे
ज़िन्दगी ने दिये तजुर्बे हमें,
कोई बहला नहीं सकता हमें।
किया था हमने पूरा विश्वास,
बदले में पाया धोखा और अविश्वास।
एतबार करना शायद थी मेरी भूल,
उसी गलती के कारण,
उसने मुझे चटाई धूल,
ग़म नहीं मुझे, उसके धोखा देने का,
डर है मुझे,उसके द्वारा
किसी और के पीड़ित होने का।
© mere ehsaas
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