गुलजार
मैंने कब कहा के मुझकों अब के अब समझ के देख...
फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझको तब समझ कर देख...
तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले...
तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर...
फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझको तब समझ कर देख...
तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले...
तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर...