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शायर की ज़िंदगी
मेरे सपनों की रिमझिम बरसात में
तेरा साथ हो
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा
अगर तुम मेरे पास हो
मैंने तेरी गलियों में कदम रखा
तो ऐसा लगा
जैसे तू मेरी धड़कन का अहसास हो
तेरी इक मुस्कुराहट के लिए जीता हूं मैं
जैसे तू दूर होकर भी मेरे पास हो
जब तुम मिलती हो तो लब खामोश होते है
ये खामोश लब भी बेहद खूबसूरत होते है
मैं पल पल तुम्हारी यादों में खोया रहता हूं
तुझसे बिछड़कर हम बहुत रोते है
कभी कभी मुस्कुराता हूं अपनी तकदीर पर
मोहब्बत करने वाले भी कमाल के लोग होते है
तुम एतबार करो मेरी बात का
मोहब्बत करने वाले जुदा हो कर भी
जुदा नहीं होते है
मेरी आंखों तेरी याद पलती है
आंसू निकल आते है ना जाने क्यों
जब तेरी बाहों में होते है
ख़ुदा भी मुस्कुराते है हमारी मोहब्बत पर
ऐसी मोहब्बत करने वाले बार बार नहीं होते है
मैंने जो गुलाब दिया था सूख गया क्या
सूखे हुए गुलाब भी बेहद हसीन होते है
कभी समझो मेरी मोहब्बत की गहराई को
रूमानियत भरे शेर कहा रोज रोज होते है
इक मोहब्बत ही है जो रूह में रब का अहसास करा देती है
वरना तो जिस्म शामशान में जलते हुए नज़र आते है
तू बता मुझे, मैं कैसे तेरा इंतज़ार ना करूं
इंतज़ार के पल भी बेहद खास होते है
तुम चुम लूं अपने होंठों से
मेरे दर्द को
हर इलाज इतने ख़ूबसूरत नहीं होते है
मैं भी थक गया हूं तुम भी थक गई हो
चलो इक दूजे के कांधे पर सिर रखकर सोते है
लौट आऊंगा मैं शाम होने से पहले
दरवाजे खुले होते है।
जो मेरी सांसों में महकता है
तुम वो गुलाब हो ।
written by अंगराज कर्ण
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