...

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पतझड़
पतझड़
मौसम बिछड़ने का,
शाखों से टूटते पत्ते,
एक वादा लेकर
फ़िर एक बार मिलने का ...
क्यों इतना सूखा
बेजान महसूस होता
रंग इतने समेटे हुए खुद में
मौसम ये लगे जैसे
रंगों में कितने रंग मिलने का...
फिर भी इस कदर
मायूसी,उदासी
और निरसता भरा,
ये मौसम लगे
जैसे;
खा़मोशी से
सब कुछ बदलने का...


© संवेदना