गुज़रना
मैं भी एक रोज़ यूँ गुज़र जाऊंगा,
जैसे कोई हारा हुआ उदास लम्हा गुज़रता है,
जैसे कोई कारवां गुज़रता है,
उसके बाद उसके पीछे धुआँ गुज़रता है।।
यूँ तो कतरा कतरा रफ़्ता रफ़्ता बीत रही है ज़िंदगी,
मग़र उसके साथ का वो पल कहाँ गुज़रता है।।
औरों को होगी मरहलों की...
जैसे कोई हारा हुआ उदास लम्हा गुज़रता है,
जैसे कोई कारवां गुज़रता है,
उसके बाद उसके पीछे धुआँ गुज़रता है।।
यूँ तो कतरा कतरा रफ़्ता रफ़्ता बीत रही है ज़िंदगी,
मग़र उसके साथ का वो पल कहाँ गुज़रता है।।
औरों को होगी मरहलों की...