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ग़ज़ल...
किसी के इश्क़ में यारों, पागल बनके देखो
किसी के तीरे-नज़र से, घायल बनके देखो
हुस्न पर मिटने वाले, हैं लाखों यहाँ मगर
किसी की सादगी के, कायल बनके देखो
मोहब्बत में लुटने का, मज़ा कुछ और है
किसी की आँखों का, काजल बनके देखो
एक चाह में उनकी, फकीरी आ जाती है
किसी खातिर, आवारा बादल बनके देखो
उनसे मिला हर दर्द, आँसू, ग़म भाए 'नीर'
किसी की याद में, तुम बेकल बनके देखो।
नीर कुमार 'निर्मोही'
किसी के तीरे-नज़र से, घायल बनके देखो
हुस्न पर मिटने वाले, हैं लाखों यहाँ मगर
किसी की सादगी के, कायल बनके देखो
मोहब्बत में लुटने का, मज़ा कुछ और है
किसी की आँखों का, काजल बनके देखो
एक चाह में उनकी, फकीरी आ जाती है
किसी खातिर, आवारा बादल बनके देखो
उनसे मिला हर दर्द, आँसू, ग़म भाए 'नीर'
किसी की याद में, तुम बेकल बनके देखो।
नीर कुमार 'निर्मोही'
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