देश मेरा ऐसा हो!
ना राग- द्वेष हो किसी के लिए, ना नफरत की लाठी हावी हो!
ना हिन्दू का नारा हो और ना मुस्लिम का नारा हो, सब लोगों में आपस में भाइचारा हो!!
ना कोई राजा हो, ना कोई गन्दी राजनीति हो, हर इक अपने आप में अपना नेता हो!
बोलने की आज़ादी हो सबको, ना कोई रहिसियत की चादर हो!!
ऐसा आत्मनिर्भर भारत हो मेरा, ना कोई सियासत की हुकूमत हो!!
औरत-आदमी का ना कोई भेदभाव...
ना हिन्दू का नारा हो और ना मुस्लिम का नारा हो, सब लोगों में आपस में भाइचारा हो!!
ना कोई राजा हो, ना कोई गन्दी राजनीति हो, हर इक अपने आप में अपना नेता हो!
बोलने की आज़ादी हो सबको, ना कोई रहिसियत की चादर हो!!
ऐसा आत्मनिर्भर भारत हो मेरा, ना कोई सियासत की हुकूमत हो!!
औरत-आदमी का ना कोई भेदभाव...