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हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मैं सीधी और साफ़ बात करती हूँ।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मुझे झूठी मोहब्बत करनी नहीं आती।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मुझे अपने जज़्बातों को छुपाना
नहीं आता।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मन की बातें साफ़- साफ़
कर लेती हूँ।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मुझे दिखावा करना नहीं आता।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि ज़िंदगी की चालाकियाँ
और मक्कारियाँ नहीं सीखीं।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि लोगों की चापलूसी करनी
नहीं सीखी।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि अपनी गलतियों पे अकड़ना
नहीं सीखा।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मैं अपनी गलतियों के
लिए माफ़ी माँग लिया करती हूँ।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मैं मामूली लड़की हो कर भी,
ख़्वाबों की मंज़िल छूना चाहती हूँ।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
कि मैंने भीड़ से अलग रस्ता चुना।
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ,
पर मुझे इस बात का सुकून है कि
मैं बहुत बुरी हूँ, मैं बहुत बुरी हूँ।
#Saaz
© Saaz