...

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मोहब्बत की बरसात
मोहब्बत की बरसात
इधर से हो या उधर से
ये ढलती हुई रात
उलझाती है जाने किधर से
आँखें पत्थर बन गई है
शायद फिकर से
मोहब्बत की बरसात
इधर से हो या उधर से
आसमां का रंग फीका पड़ा
मोहब्बत की बरसात आ सामने खड़ा
डर को छोड़ वो थी अड़ा
मोहब्बत के पत्ते एक भी ना झरा
मोहब्बत की बरसात
इधर से हो या उधर से
जलती है आँखें
निकलता है धुआँ जिगर से
© sushant kushwaha