कहने को कुछ शेष नहीं...
मुझे तुमसे कोई द्वेष नहीं
बस अब कहने को कुछ शेष नहीं
दुख आंसू प्रमाद विषाद
तुमने मुझसे सब बांटा हैं
जब बारी मेरी आई तो
तुमने मुझको बस डांटा हैं
करुणा प्रेम प्रमोद विचार
अब किसी का यहां प्रवेश नहीं
अब कहने को कुछ.....
जब भी टूटा, तू यकीन कर ...
बस अब कहने को कुछ शेष नहीं
दुख आंसू प्रमाद विषाद
तुमने मुझसे सब बांटा हैं
जब बारी मेरी आई तो
तुमने मुझको बस डांटा हैं
करुणा प्रेम प्रमोद विचार
अब किसी का यहां प्रवेश नहीं
अब कहने को कुछ.....
जब भी टूटा, तू यकीन कर ...