...

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कहने को कुछ शेष नहीं...
मुझे तुमसे कोई द्वेष नहीं
बस अब कहने को कुछ शेष नहीं

दुख आंसू प्रमाद विषाद
तुमने मुझसे सब बांटा हैं
जब बारी मेरी आई तो
तुमने मुझको बस डांटा हैं
करुणा प्रेम प्रमोद विचार
अब किसी का यहां प्रवेश नहीं
अब कहने को कुछ.....

जब भी टूटा, तू यकीन कर
मैने तुझको बस जोड़ा हैं
जब चाह थी मुझको तेरी
मेरे हाल पर मुझको छोड़ा हैं
एकांत भला हैं मुझको अब
किसी तरह का कलेश नहीं
अब कहने को......

अनुसार समय के मैने रिश्तों को
सीला बूना और सींचा हैं
बदले में इसके हर गलती को
तुमने मेरी खींचा हैं
निश्छल हृदय देख मेरा तू
अब भी इसमें कोई रोष नहीं
बस कहने को कुछ शेष नहीं....

मुझे तुमसे कोई द्वेष नहीं
बस अब कहने को कुछ शेष नहीं


© first muskan