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🌹आधुनिकता 🌹
वो भोलापन पहाड़ों का,
और चतुराई मैदानों की,
कंक्रीटों के जंगल में,
कोई क़दर नहीं इंसानों की..
कहीं घर जैसी कोई जगह नहीं,
बस पंक्तियाँ हैं मकानों की,
यहाँ डरी हुई है मानवता,
नज़रों से हैवानों की..
हर पल भागमभाग मची है,
घुट-घुट कर सब जीते हैं,
जब सुकूंन नहीं है जीवन में,
क्या कीमत फ़िर सामानों की..
𝖘𝖍𝖆𝖐𝖙𝖎
© #socialsaintshakti
और चतुराई मैदानों की,
कंक्रीटों के जंगल में,
कोई क़दर नहीं इंसानों की..
कहीं घर जैसी कोई जगह नहीं,
बस पंक्तियाँ हैं मकानों की,
यहाँ डरी हुई है मानवता,
नज़रों से हैवानों की..
हर पल भागमभाग मची है,
घुट-घुट कर सब जीते हैं,
जब सुकूंन नहीं है जीवन में,
क्या कीमत फ़िर सामानों की..
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