...

10 views

टूटा कोई काँच…
कोई ऐसे कैसे टूट सकता है,
जैसे टूटे कोई काँच रे…
कोई ऐसे कैसे बेवफ़ा हो सकता है,
जैसे झूठ को जानकर टूटे विश्वास रे…
छुप जाती है हॉंथो की रेखा,
टूट जाती है फिर जीने की आस रे…
कोई ऐसे कैसे टूट सकता है,
जैसे टूटे कोई काँच रे…

सुबह शाम फिर लगा मन चिंता में,
ढूँढ रहा है मुझे छोड़ने का कारण
क्या हो सकता है ?
मिल रहा हूँ अपने बीते उन पलों से,
याद कर रहा हूँ अब उच्चारण
क्या हो सकता है ?
इस वक़्त में चाहकर कोई
होता नहीं पास रे…
कोई ऐसे कैसे टूट सकता है,
जैसे टूटे कोई काँच रे…

सुना है मोहब्बत करने वालो के
ख़ुदा साथ होता है,
जब कोई दिल टूटता है तो
रब का सहारा पास होता है…
जा रे क़िस्मत तू जा कही ओर,
मुझे नहीं चाहिए तू…
एक तो आज हमारा दिल टूटा,
अब “जिंद” तुझे चाहूँ क्यों…
ले यह जीवन भगवान को दिया,
ना कोई अब तलाश रे…
कोई ऐसे कैसे टूट सकता है,
जैसे टूटे कोई काँच रे…


#जलते_अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻