...

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ईद मुबारक
मौसम-ए हिज्र औ ये माह-ए-कमल,,
यारो कैसे ईद की मुबारकबाद करें,,

दुआओं मे हाथ फैलाकर कर,,खुदा से
महबूब के वस्ल की फरियाद करे,,

रोक रखा है हमने चाँद को फलक पर,
तुम आओ तो,,खंडहर दिल आबाद करे,,

मुतंजीर है,,दर्द भरी आँखे भी राह मे,
गले लगकर इक समंदर आजाद करें,,

करम-ए-खुदा हो जाए,,जो तेरा दिदार हो,,
तड़प तड़प कर कब खुद को नाशाद करे,,

दिल-ए-रियासत के आप ही शहंशाह हो,,
इश्क मे खुद को शीरीन,,आपको फरहाद करे,,

अब तो सितम के दिन गुजर जाएं,,मेरे मौला,,
आँखो को दिद करके,,ईद का ईजाद करें,,,