...

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"सुमित"ये आँखें नही महखाना है !! फरेबी ये ज़माना है !!!
"सुमित" ये आँखें नही महखाना है ,
फरेबी ये ज़माना है !!!

झूठे हमदर्द मत बनो मेरे वरना बे मौत मर जाना है!!

फकत तुम्हे हमे आजमाना है , फिर हमे जिंदा लाश बना चले जाना है !!

सच कहेता जमाना है इश्क का झूठा हर एक फसाना है ,
इश्क करके बे मौत मरे हो
"सुमित"अब और क्या पाना है !!

"सुमित"ये आँखें नही महखाना है !!
फरेबी ये ज़माना है !!!