...

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हमदर्द
तुमसे कुछ पल दूर क्या हुए
उदासी के बादल छाने लगे
दिन बीते सारे तेरे इंतेज़ार में
रातों को ख़्वाब में तुम आने जाने लगे

तुमसे नाता बेहद गहरा है
मैं अंधेरों में क़ैद रहता था
तू बनके आया सवेरा है
रूह हमारी एक दूजे से जुड़ी
दिल में बसा एक तेरा चेहरा है

नादानी कर देता हूं मैं
ख़ामोश सा रहता हूं मैं
तेरी बातें ख़ुदा से अक्सर करता रहता हूं मैं
जुदा अब तुमसे ना हो सकेंगे
हर जनम में हमसफ़र तुम बनो
ये दुआ रब से करते रहेंगे

© rõõh