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जहाँ होती हैं खुशियाँ वहाँ गम भी होते हैं
जहाँ होती हैं खुशियाँ वहाँ ग़म भी होते हैं,
कुछ एहसास ऐसे होते हैं जो मरहम भी होते हैं।
गिले-शिकवे दिल में रखने से होगा क्या हासिल,
आपके उदास होने पर उदास हम भी होते हैं।
शब- ए- फ़ुर्कत में आज नम है हमारी आँखें,
हद से बढ़ कर ये दर्द आख़िर कम भी होते हैं।
दर्द की इस रात के बाद आएगी सुहानी सहर,
ज़ुल्मत के साए में रौशनी के आलम भी होते हैं।
ग़म- ए- हिज़्र के बाद आएगी वस्ल की घड़ी,
आकर पहलू में तेरे दिल-शाद हम भी होते हैं।
कुछ एहसास ऐसे होते हैं जो मरहम भी होते हैं।
गिले-शिकवे दिल में रखने से होगा क्या हासिल,
आपके उदास होने पर उदास हम भी होते हैं।
शब- ए- फ़ुर्कत में आज नम है हमारी आँखें,
हद से बढ़ कर ये दर्द आख़िर कम भी होते हैं।
दर्द की इस रात के बाद आएगी सुहानी सहर,
ज़ुल्मत के साए में रौशनी के आलम भी होते हैं।
ग़म- ए- हिज़्र के बाद आएगी वस्ल की घड़ी,
आकर पहलू में तेरे दिल-शाद हम भी होते हैं।
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