अजीब अफ़साना ft. Hiten Biswal
"आज घर लौटते वक़्त
आँखों में कुछ नम सा है,
शहर की चकाचौंध के पीछे
गाँव की यादें गुम सी हैं।
कदम थमे नहीं हैं,
पर दिल वही रुक सा गया है,
जहाँ पापा की वो आवाज़
अब सिर्फ़ यादों में सिमट गई है।
माँ की झुकी कमर में
सालों की वो थकान छुपी है,
जिन्हें मुझसे कहे बिना
वो हर दर्द चुपचाप पीती रही है।
और दीदी के सपनों में
कई रातें यूँ ही बीती हैं,
अब बस उन्हें खुशियों की
चंद सौगातें देना है।
भगवान से बस ये विनती है,
हमें इस सन्नाटे में
थोड़ी सी शांति दे देना है,
क्योंकि अब तक हमने
सिर्फ़ लम्हों को खोते देखा है।"
© Hiten Biswal
आँखों में कुछ नम सा है,
शहर की चकाचौंध के पीछे
गाँव की यादें गुम सी हैं।
कदम थमे नहीं हैं,
पर दिल वही रुक सा गया है,
जहाँ पापा की वो आवाज़
अब सिर्फ़ यादों में सिमट गई है।
माँ की झुकी कमर में
सालों की वो थकान छुपी है,
जिन्हें मुझसे कहे बिना
वो हर दर्द चुपचाप पीती रही है।
और दीदी के सपनों में
कई रातें यूँ ही बीती हैं,
अब बस उन्हें खुशियों की
चंद सौगातें देना है।
भगवान से बस ये विनती है,
हमें इस सन्नाटे में
थोड़ी सी शांति दे देना है,
क्योंकि अब तक हमने
सिर्फ़ लम्हों को खोते देखा है।"
© Hiten Biswal