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मिट्टी का चांद
मिट्टी चांद की कहानी में अधरी अरहर दालें आई हैं,
मिट्टी में तारों की खुशबू आईं हैं, ये इश्क के कारण संभव किरने, बहुत जादूगरी कीजिए,
मिट्टी और चने मिलने लगे ऐसे, जैसे घुलते हुए शरबत आशिकी करते हैं न,
मिट्टी और मांग भरते हैं न, मिट्टी की मांग में हम सितारे भरते हैं न,
चांद नूर मिट्टी में समाया, मिश्री का एहसास समाया हुआ समीक्षा करे राहों की,
जहां चांदनी आई चांद के वास्ते,
रास्तों को दीवाने करने,
मिट्टी और चने मिलने आ गए हैं न,
चमकी मिट्टी की मांग में हम भरते है न,
अजीब शानदार गलियों में,
मिट्टी की अलक खुशबू चांद को सुहाई,
चांद की नूरे मिट्टी को खूबसूरत करने आई,
चांद ओर मिट्टी में अरहर दालें लेटी हुई,
अरहर दालें, सितारों के साथ मिलती हुई,
ये इश्क का जुनून देखिए, इनमे संभव सब होता,
जहां इश्क रूहानी, वहां इंसान खुद भगवान होता,
हम शक्ति हैं रूहानी, दर्जा मेरा भगवान से ऊंचा,
शक्ति से खुशबूदार कुछ नही, मैने जीत दिल लिया,
दर्जा हमारा, ओर मजबूती से शानदार हो गया,
इश्क की जजुल्फों से परचम शामियाना हुआ,
मिट्टी में चने मिले तो चमकी समुंदर पैदा हुआ,
चांद का नूर मिट्टी पर हुआ, इशारा भी हंस पड़े,
इतनी मासूम, नूरानी तमीज, जो गली सितारे किए।
मैने कहा, मिट्टी में सजी एक नूरानी अंजली,
मिट्टी और चांद जोड़ियां, चांदनी ने कह दिया,
अरहर दालें और सितारों ने कमल कर दिया,
सब इश्क ने संभव कर दिया।