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दर्पण में कौन है मेरे सामने
दर्पण में आज कौन है मेरे सामने 👈
बहुत सुंदर मासूम सी ❤️
जेसे हो अभी 5 साल की ❤️
वही मासूम मुस्कान वही शरारती आंखे 😘
दर्पण में आज कौन है मेरे सामने 👈
खो सी गयी थी जो कुछ सालों से 😢
उम्मीदों ने दूसरों से प्यार पाने की 😟
परछाईं बना दिया था मुझको मेरी 😮‍💨
में सोचने लगी थी में कुछ भी नहीं अकेली 😇
लेकिन जब दर्पण साफ़ किया मन का अपना 🤔
में तो आयी भी अकेली जाना भी अकेले दुनिया से
फिर क्यूँ बीच में उम्मीदों का दामन थामा 😢
दर्पण में आज कौन है मेरे सामने 👈
आज जी भरकर सजाया इस तन को 🥰
जिसको गंदा कर रहीं थीं कीचड़ की चाह में 😱
खुद को बोला मेने आज बहुत सुन्दर हो तुम 😘
कितनी प्यारी हो तुम सबसे अलग हो तुम ❤️
कहाँ थी अब तक आती तो थी रोज दर्पण के सामने
पर आज जो हो वो पहले ना थी तुम ❤️
दर्पण में ये कौन है मेरे सामने 👈
मेने कहा बचपन से आज तक ✍️
देखा बहुत बार दर्पण ✍️
धूल जमी जो थी इस पर ✍️
साफ ना कि कभी तो केसे में दिखती इतनी सुन्दर
अब में रोज साफ करुँगी अपने मन का दर्पण 👍
कभी ना आने दूंगी उम्मीदों की धूल इसपर 🙌
खुद से प्यार करुँगी और भी बन जाऊँगी सुंदर 🤗
वही 5 साल वाली मासूम सी मोहिनी ❤️
दर्पण में आज में खुद ही हू खुद के सामने 🙌
अब ना कहना ए दर्पण 👉कौन है ये मेरे सामने 😊
राधे राधे 🙏🙏

© Mohini