...

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मैं एक दृष्टा
मैने मूर्खो को बोलते देखा है ,प्रबुद्धो को शांत देखा है ,चतुरो को सुनते और बुद्धिमानों को पढ़ते देखा है ।
मैने स्वतंत्र को मदमस्त देखा है ,कुटिलो को फुसफुसाते देखा है ,प्रेम करने वाले लोगो को गुनगुनाते देखा है।
दूर रहकर भी मैने जीवन को बहुत करीब से देखा है।

मैने गरीब को हंसता देखा है ,अमीर को रोता देखा है ; हैसियत और हसरत का जब मैंने उनमें अंतर देखा है।
मैने दुश्मनों को गले मिलते देखा है ,दोस्तों को बिछड़ते देखा है ;
साथ टूटने पर प्रेमियों को बिलखते देखा है।
दूर रहकर भी मैने जीवन को बहुत करीब से देखा है।

मैने अपनों को रूठते देखा है ,
रिश्तों को एक पल में टूटते देखा है ;
उम्मीदों को बनते देखा है ,हौसलों को बिखरते देखा है ;
मैने गैरो को संभालते देखा है और अपनों को लूटते देखा है।
दूर रहकर भी मैने जीवन को बहुत करीब से देखा है।

मैंने मीठी जुबानों में छिपे कपटो को देखा है ,
ज़हर भरे दिलों में आग की लपटों को देखा है ;
साथ निभाने वाली बड़ी झूठी कसमों को देखा है ,
प्यार भरी छोटी सच्ची रस्मों को देखा है।
दूर रहकर भी मैने जीवन को बहुत करीब से देखा है।

मैने आशिकों को रोते हुए देखा है ,अपनो को दुनिया से खोते हुए देखा है ;
सही और गलत को एक रंग में पोते हुए देखा...