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#May_day
टूटी चप्पल पहन कर
फटी धोती डाल कर
वो जो इंसान दिख रहा मजबूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है।
दो वक़्त की रोटी के लिए
जो अपने घर से मीलों दूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है।
दिन रात काम कर के
जो थक के चूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है
फटी धोती डाल कर
वो जो इंसान दिख रहा मजबूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है।
दो वक़्त की रोटी के लिए
जो अपने घर से मीलों दूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है।
दिन रात काम कर के
जो थक के चूर है
हां वो अपने देश का मजदूर है
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