...

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जय सियाराम
जिनके हृदय में राम है,
जिनके अधर में राम है।
जो राम राम में लीन है ,
मेरे प्रभुजी अंजनीसुत
हनुमान है।
जिनकी राम से ही सुबह होता,
राम से ही शाम है।
राम मय संसार सारा,
राम से ही ग्यान है।
राम से शक्ति मिली है,
राम से भक्ति मिली है।
राम से जीवन मिला है ,
राम से हनुमान है राम मेरे हृदय में है।
राम मेरे कर्म मे, राम मेरे धर्म मेरे,
राम से आध्यात्म मेरा ,
राम से ही प्राण है।
राम ही है प्रकृति मेरी, राम से अनुरक्ति मेरे,
राममय जीवन सदा हो ,
इतना करता ध्यान है।
रामभक्त मेरे प्रभुजी महाबली हनुमान है।
जय सियाराम
© Satyam Dubey