...

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अग्निपथ
एक ज्वाला भीतर बसती है...जो धधक धधक कर जलती है...
एक नई चेतना पलती है...एक नई कहानी कहती है..
संघर्ष नया नित मिलता है... नर मानव प्राणी वो है..जो नव चेतन भर कर लड़ता है...
न हार मेरे प्यारे बंधु...ये दर्द बांध है नहीं बड़ा...
तू नजर उठा के देख जरा..तेरा आत्मबल है तेरे साथ खड़ा..
वो मंजर और बनेगा फिर...जब जो चाहा तू करेगा फिर...
आज नही तो कल होगा...उद्देश्य तेरा भी सफल होगा...
एक वक्त भी ऐसा आता है...दरिया भी चल कर आता है...
संघर्ष की वाणी चुप होगी...सिद्धि उत्पात मचाएगी...


© @Good Girl