6 views
अग्निपथ
एक ज्वाला भीतर बसती है...जो धधक धधक कर जलती है...
एक नई चेतना पलती है...एक नई कहानी कहती है..
संघर्ष नया नित मिलता है... नर मानव प्राणी वो है..जो नव चेतन भर कर लड़ता है...
न हार मेरे प्यारे बंधु...ये दर्द बांध है नहीं बड़ा...
तू नजर उठा के देख जरा..तेरा आत्मबल है तेरे साथ खड़ा..
वो मंजर और बनेगा फिर...जब जो चाहा तू करेगा फिर...
आज नही तो कल होगा...उद्देश्य तेरा भी सफल होगा...
एक वक्त भी ऐसा आता है...दरिया भी चल कर आता है...
संघर्ष की वाणी चुप होगी...सिद्धि उत्पात मचाएगी...
© @Good Girl
एक नई चेतना पलती है...एक नई कहानी कहती है..
संघर्ष नया नित मिलता है... नर मानव प्राणी वो है..जो नव चेतन भर कर लड़ता है...
न हार मेरे प्यारे बंधु...ये दर्द बांध है नहीं बड़ा...
तू नजर उठा के देख जरा..तेरा आत्मबल है तेरे साथ खड़ा..
वो मंजर और बनेगा फिर...जब जो चाहा तू करेगा फिर...
आज नही तो कल होगा...उद्देश्य तेरा भी सफल होगा...
एक वक्त भी ऐसा आता है...दरिया भी चल कर आता है...
संघर्ष की वाणी चुप होगी...सिद्धि उत्पात मचाएगी...
© @Good Girl
Related Stories
11 Likes
2
Comments
11 Likes
2
Comments