ख्वाहिशें
ख्वाहिशें दिल में हम हजार दबाये बैठे हैं,
कोशिशों की हम बाजार सजाये बैठे हैं,
सर जरूर नीचा होगा उन सबका,
जो हमारे हार की आस लगाए बैठे हैं,
तमन्ना रखते हो मुझे गिराने की,
कोशिश क्यों नहीं करते खुद को उठाने की,
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कोशिशों की हम बाजार सजाये बैठे हैं,
सर जरूर नीचा होगा उन सबका,
जो हमारे हार की आस लगाए बैठे हैं,
तमन्ना रखते हो मुझे गिराने की,
कोशिश क्यों नहीं करते खुद को उठाने की,
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