...

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"धत् पगली!"
सुन
उसके माथे बिंदी
कानों की बाली
और हाथों की चूड़ी
ना जाने कबसे
तेरा नाम दोहरा रही हैं

सुन
उस माँ की कोख
और उसकी बूढी आँखें
ना जाने कबसे
तुझे ही निहारने को बेचैन हैं

सुन
तेरे बच्चे
जिन्हे कुछ खबर ही...