...

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वन रक्षक
बचाता वनों को
अपने ऊपर हजारों वार सहकर,
बुलाते सब उसको वन रक्षक कहकर।
दुःख दर्द को अपने हमेशा अलग रखकर,
करता इंसाफ खुद को निष्पक्ष रखकर।
कमी उसे हजारों है चिंता किसी को नहीं,
चिंता होगी कब?
फुर्सत अफसरशाही से नहीं।
एक ऐसा वर्दीधारी है,
थोपी जिसपर सारी जिमेबारी है।
वन रक्षक के नाम से है भर्ती उसे किया गया,
आकर पता चलता उसे है वो बकरा बलि का।
फिर भी वह उफ्फ न करता ,
बोझ ढोए हुए है बढ़ता रहता।
क्लर्क वह है, इंजीनियर वह है,
वह है चौकीदार भी।
कभी बनता वह wildlifer,
कभी एक रेस्क्यूर है।
कभी वक्त की ऐसी मार है बजती,
बनता वह मजदूर भी।
कामों के इतने बोझ के साथ,
आशाओं का पहाड़ है।
फिर भी जो विभाग चलाये,
वन रक्षक उसका नाम है।
हिन्दू धर्म के देवी देवता सा ही उसका हाल है,
10 हाथ हैं समझे जाते
सबमें अलग हथियार है।
अफसर हमेशा आते जाते
बनना उनको पोलिटिकल स्टार है,
जमीनी स्तर की समस्याओं से
इनका न सरोकार है।
काम पहले से कम थे हमको,
उसपर ये Whatsapp है।
धरातल पर कुछ भी हो,
रिपोर्ट न आये तो अभिशाप है।
वन रक्षक पर ही एक भार है,
क्योंकि सबको बचानी अपनी-2 खाल है।
आखिर कितना लिखूं..
फर्क किसी को पड़ता नहीं,
लिखने को तो पूरा इतिहास है।
© Joginder Thakur