मैं कौन हूँ?
मैं कौन हूँ ?
ज़िन्दगी की राहों में,
खोया हुआ एक राही हूँ
सपनों के आशियाने में,
ख्वाबों की स्याही हूँ
फ़िजा में बहती हुई,
मदमस्त पुरवाई हूँ
अपनों के साथ रहने वाली,
उनकी मैं परछाई हूँ
चाँद की चांदनी,
सूर्य की भीषण आग हूँ
सबके जीवन को रंगों से भरता,
मैं वो इक फाग हूँ
सोच-विचार की गहराई में,
मैं चिंतन की नदी हूँ
प्रेम...