...

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सुनो ना
सुनो ना,
मैं अब भी रोज़ तुम्हें एक खत लिखती हूं
अपने एहसासों की माला शब्दों में पिरोकर,
रोज तुमसे पूछती हूं ,कैसे हो तुम,
याद करती हूं वो खूबसूरत पल
जो साथ बिताए थे हमने,
अभी भी सुबह की काॅफी याद आती है,
करती हूं शिकायत कि
तुम अब मुझे...