...

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वो लड़की
जैसे फूलों में ख़ुशबू समा जाती है
बिन कहें वो लड़की
हर बात जान जाती है
दुनिया पत्थर समझती है मुझको
वो मुझे छू कर मोम कर जाती है
इक हसीन फूलों से भरा मौसम है
उसकी बांहों में
जहां जिंदगी सुकून से बित जाती है

मैंने उसमें क्या देखा और क्या जाना है
उसे जाना फिर कुछ नहीं जाना है
उसने मेरे आंसू दिल में छुपा लिए
उस लड़की ने मुझे इतना चाहा है

वो लड़की मासूमियत की बहार है
उसकी आंखों बसा मेरा सारा संसार है
वो जो जुल्फें खोलें तो सावन
वो जो मुस्कराए तो
मेरे दिल को करार है

बिन कहें वो लड़की हर बात जान जाती है


मैंने उससे कहा था
ऐसा लम्हा फिर दूबारा नहीं आयेगा
इक शाम तुम्हारे आंचल में सो गई है
सूरज कहां अपनी दिशा बदल पायेगा
तुम मुझे देख लो
मैं तुम्हें देख लूं
ये ज़िंदगी का सफ़र आसानी से गुज़र जायेगा

मोहब्बत का रिश्ता दिलों का रिश्ता है
जो अटूट है
जुदा हो कर भी जुदा होता नहीं
दूरियों में भी नजदीकीयो का अहसास किया करो
प्यार का मंज़र कभी खत्म होता नहीं

सूनी राहों में उसे हमसफ़र पाया है
मुददतो बाद दिल को करार आया है
वो जानती है
मेरी दिल्लगी को
उसे इक झलक देखकर मैंने
सब कुछ पाया है

बिन कहें वो लड़की हर बात
जान जाती है।

written by अंगराज कर्ण



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