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मैं जीवन आधार
मैं सृष्टि का कर्ताधर्ता।
मैं ही हूँ जीवन आधार।
महाकाल मैं, काल भी मैं हूंँ।
पुष्पों के भीतर खुशबू मैं हूंँ।
कलियों की कोमलता मैं हूंँ।
मैं अदम्य हूंँ,मैं अगम्य हूंँ।
दिनकर अंदर आग भी मैं हूंँ।
सुर,साज़ और राग भी मैं हूंँ।
चंदा में शीतलता मैं हूंँ।
काग़ज़ मैं स्याही मैं हूंँ।
किल्क मैं अल्फ़ाज़ भी मैं हूंँ।
कठपुतलियांँ हैं सब मेरी,
मार्गदर्शक मैं किरदार भी मैं हूंँ।
फिर काहे को करते हो अभिमान।
सच्चाई से तुम हो अनजान।
मैं ही अल्लाह, राम, वाहेगुरु।
राम,यीशु, मोहम्मद, नानक मैं हूंँ।
© ✍️nemat🤲