...

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मेरी चाह
जिंदगी कहती है मुझसे,
मुझको तू ही चाहिए
पा सकूं; थोड़ा सुकून,
वो जगह मुझे चाहिए
जाने कब ये हो गया,
तू छा गया मुझमें नसा_ सा,
ढूंढती फिरती ये आंखें
मुझको तू ही चाहिए
पा सकूं; थोड़ा सुकून
वो जगह मुझे चाहिए

पास थे तब नासमझ थी;
दूरियां समझा गई,
मुझको तो तेरे चेहरे पे
मुस्कुराहट चाहिए।
कहता है दिल ये मुझसे,
तेरी आहट चाहिए,
जीने के लिए; सिर पे मेरेें
तेरा हाथ चाहिए।
थक के लौटूं जब भी,
तेरा ही साथ चाहिए
जिंदगी को हर रोज तेरे संग
वक्त थोड़ा चाहिए।
जिंदगी कहती है मुझसे
मुझको तू ही चाहिए
पा सकूं; थोड़ा सुकून
वो जगह मुझे चाहिए

तेरी उम्मीद मुझसे पर मुझे,
तुझसे भी उम्मीद चाहिए
खरी उतरूं मैं तेरे यकीं पे,
मुझे तुझसे ये हौसला चाहिए।
संभालने निकली ही खुद को;
फिर तेरा सहारा चाहिए,
टिका सकूं पैर जमीं पे,
तेरी आंखों में वो चमक चाहिए
जिंदगी में मेरे, रोशनी चाहिए
कुछ और नहीं बस,
तेरी खुशदिली चाहिए।

मां आज फिर तेरा आंचल याद आया है,
न जाने क्यों मन असहज है, आंखे भर आई है,
ये भीड़ मुझे भाती नही, ये आपको भी पता है,
बहुत अकेली हूं, थक गई हूं,
पर नींद का न पता है,
मैं जानती हूं आप भी अकेली हो मेरी तरह,
मेरे पंखों में जान भरने के लिए,
मेहनत कर रही हो
हमारे चेहरे पे मुस्कान भरने के लिए,
अगर आप थकना भूल गई हो
तो मैं भी बढ़ती रहूंगी,
खुद से लड़ती रहूंगी।



21/1/20 Tuesday
14/8/2024 AM
© sj