kabar se
किस्सों में सुनती हूं ,हिस्सों में लिखती हूं,
बोझ तले रखी एक कलम को निकालकर सपने बुनती हूं ।
लिख दूंगी आज सारा जहां तुमसे मिलने की दासता , दास्तां वो प्यार की धीमी से इज़हार की , टूटे हुए तकरार की।
जुड़ते नहीं रिश्ते गिठा बंध जाती है ,टूटी हुईकलम फिर भी लिख जाती है ,
दास्तां वो प्यार की धीमी से इजहार,
की टूटे हुए तकरार की।
आज दूर से सोच लेना दरवाजा खटखटाया था किसी ने
आवाज लगाई थी किसी ने ,
जोर से बुलाया था किसी ने,
मैंने देखा तो दरवाजे पर एक परछाई है जिंदगी भर की धूल ले आई है
खोला ना दरवाजा मैंने, मेला होने के डर से
बाद में एक खत पहुंचा मेरे पास ,
लिखा था उसमें देना पड़ेगा तुम्हें हिसाब
उस रात दरवाजा खोला ना तुमने मैला होने के डर से,
आज बोल रहा हूं मैं अपनी कबर से।।।
कबर से यह आवाज आई है मेरे मन में अफसोस लाई है
काश !खोल देता मैं दरवाजा उस रात
बचा लेता किसी का हाथ,
मैला तो मैं आज भी हूं
उस कब्र के खत से।।।
बोझ तले रखी एक कलम को निकालकर सपने बुनती हूं ।
लिख दूंगी आज सारा जहां तुमसे मिलने की दासता , दास्तां वो प्यार की धीमी से इज़हार की , टूटे हुए तकरार की।
जुड़ते नहीं रिश्ते गिठा बंध जाती है ,टूटी हुईकलम फिर भी लिख जाती है ,
दास्तां वो प्यार की धीमी से इजहार,
की टूटे हुए तकरार की।
आज दूर से सोच लेना दरवाजा खटखटाया था किसी ने
आवाज लगाई थी किसी ने ,
जोर से बुलाया था किसी ने,
मैंने देखा तो दरवाजे पर एक परछाई है जिंदगी भर की धूल ले आई है
खोला ना दरवाजा मैंने, मेला होने के डर से
बाद में एक खत पहुंचा मेरे पास ,
लिखा था उसमें देना पड़ेगा तुम्हें हिसाब
उस रात दरवाजा खोला ना तुमने मैला होने के डर से,
आज बोल रहा हूं मैं अपनी कबर से।।।
कबर से यह आवाज आई है मेरे मन में अफसोस लाई है
काश !खोल देता मैं दरवाजा उस रात
बचा लेता किसी का हाथ,
मैला तो मैं आज भी हूं
उस कब्र के खत से।।।