...

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kabar se
किस्सों में सुनती हूं ,हिस्सों में लिखती हूं,
बोझ तले रखी एक कलम को निकालकर सपने बुनती हूं ।
लिख दूंगी आज सारा जहां तुमसे मिलने की दासता , दास्तां वो प्यार की धीमी से इज़हार की , टूटे हुए तकरार की।
जुड़ते नहीं रिश्ते गिठा बंध जाती है ,टूटी हुईकलम फिर भी लिख जाती है ,
दास्तां वो प्यार की धीमी से इजहार,
की टूटे हुए तकरार की।...