#संघर्ष/struggle #
ये ज़माना ये ज़माना
कुछ न जाना कुछ न जाना
पत्तियों से गिरता पानी
कहता मेरी दुःख कहानी।
ये लुढ़कते हुए पत्थर
हों दफ्तरों के मेरे चक्कर
पतझड़ में यूं पेड़ सूखे
खूब सोया हूं पेट भूखे।
मैं तपता पत्थर मील का हूं
मैं कचरा कोई खील...
कुछ न जाना कुछ न जाना
पत्तियों से गिरता पानी
कहता मेरी दुःख कहानी।
ये लुढ़कते हुए पत्थर
हों दफ्तरों के मेरे चक्कर
पतझड़ में यूं पेड़ सूखे
खूब सोया हूं पेट भूखे।
मैं तपता पत्थर मील का हूं
मैं कचरा कोई खील...