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अब कैसे वापस जाऊं मैं
रिश्ता निभाते निभाते बहुत दूर निकल आई मैं
अब कैसे वापस जाऊं पहली की उन दिनों में !
उसी के साथ ही सुकून मिलता हैं मुझे
भले ही वो तकलीफ़ ही क्यों न दे मुझे ;
वादा किया था मैंने हर सुख दुख में साथ निभाऊंगी उसकी
मैं रह गई पहले जैसी ही लेकिन फिदरत बदल गया उसकी ;
आजकल कम होती हैं बातें हमारी
ज्यादा होती हैं गलतफ़हमियां हमारी ;
अब वक्त गुजरता हैं हमारी अजनबियों की तरहा
और वो हर दिन बदलता गया हैं मौसम की तरहा ।।
!!
© All Rights Reserved #mystory #broken
#poem #pankshi
अब कैसे वापस जाऊं पहली की उन दिनों में !
उसी के साथ ही सुकून मिलता हैं मुझे
भले ही वो तकलीफ़ ही क्यों न दे मुझे ;
वादा किया था मैंने हर सुख दुख में साथ निभाऊंगी उसकी
मैं रह गई पहले जैसी ही लेकिन फिदरत बदल गया उसकी ;
आजकल कम होती हैं बातें हमारी
ज्यादा होती हैं गलतफ़हमियां हमारी ;
अब वक्त गुजरता हैं हमारी अजनबियों की तरहा
और वो हर दिन बदलता गया हैं मौसम की तरहा ।।
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