...

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घर अपना जला न दे..
बुझी हुई राख को,हवा न दे
कुरेद मत तूझे जला न दे।
मुझे चाहिए मेरी कुटिया
तूझे सल्तनत,दगा न दे।

मेरे घर में,घर बना लिया
कहीं मुझे भगा न दे।
फसाद है सुगबुगा रहा
फैलने की जगह न दे।

डर गया हूँ,तेरी रत जगा से
कहीं नींद मुझे सुला न दे।
तू भूल गया तारीख भी,अब
डर है,घर अपना जला न दे।
© Nits