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वचनबद्ध हूं मैं
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा,
खो जाऊंगा अंधियारों में, पर तुम्हें न खोने दूंगा,
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा।

मेरी तमाम ज़िदों के आगे, तूफ़ां भी रुक जाएंगे,
मुझे मनाने की ख़ातिर, ये पर्वत भी झुक जाएंगे,
पत्थर जैसे होंगे इरादे, आंखों से आंसू न छूटेंगे,
मिट जाएंगे सिंदूरी सपने, पर ये वायदे न टूटेंगे,
सह लूंगा लोगों के ताने, पर मैं तुम्हें न रोने दूंगा,
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा।

लुट जाए चाहे मेरा सबकुछ, तुम्हें न लुटने दूंगा,
याद तुम्हारी रुलाएगी बेशक, तुम्हें न घुटने दूंगा,
तुम हो दिल का साज़, कैसे लिखूंगा बिन तुम्हारे,
दम न रहेगा इन हाथों में, ये क़लम तुम्हारे सहारे,
ख़ुद करूंगा नींद ख़राब, तुम्हें चैन से सोने दूंगा,
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा।

उल्फ़त करने वालों को, कब तक लोग जलाएंगे,
दो जिस्म-इक जान पे, कब तक ख़ंजर चलाएंगे,
तुर्रेबाजों के फ़तवों से, अब शाख़ हमें बचानी है,
हूं तैयार मैं मरने को, परवानों में चाह जगानी है,
ग़म के बोझ को कभी, मैं ‘मद’ तुम्हें न ढ़ोने दूंगा,
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा।

खो जाऊंगा अंधियारों में, पर तुम्हें न खोने दूंगा,
वचनबद्ध हूं मैं सनम, बदनाम तुम्हें न होने दूंगा।
✍️
मानव दास 'मद'
© manavdass@gmail