बूढ़ा पेड़
राह दिखाता गांव की वो, खड़ा अकेला बूढ़ा पेड़
मोर, पपीहा, नीलकंठ का, एक सहारा बूढ़ा पेड़
चौमासे में भी पतझड़ है, भीतर से खाली-खाली
फिर भी अन्दर जान समेटे, करता सबकी रखवाली
उसकी ही लकड़ी से देखो, 'मुनिया' का घर बना हुआ है
फिर भी आज कुल्हाड़ी लेकर, उसके आगे तना हुआ है
हिम्मत देखो, साहस देखो, कुछ पैसों का लालच देखो
आखिर आज चला जाएगा, रोज गुज़ारा, बूढ़ा पेड़
मोर, पपीहा, नीलकंठ का, एक सहारा बूढ़ा पेड़...
केवल वह यदि लकड़ी होता, तो भी जाना वाजिब था
पर वह तो ना जानें कितने, बेजुबानों का हाफिज़ था
कीमत उसकी पैसों से, कर पाना...
मोर, पपीहा, नीलकंठ का, एक सहारा बूढ़ा पेड़
चौमासे में भी पतझड़ है, भीतर से खाली-खाली
फिर भी अन्दर जान समेटे, करता सबकी रखवाली
उसकी ही लकड़ी से देखो, 'मुनिया' का घर बना हुआ है
फिर भी आज कुल्हाड़ी लेकर, उसके आगे तना हुआ है
हिम्मत देखो, साहस देखो, कुछ पैसों का लालच देखो
आखिर आज चला जाएगा, रोज गुज़ारा, बूढ़ा पेड़
मोर, पपीहा, नीलकंठ का, एक सहारा बूढ़ा पेड़...
केवल वह यदि लकड़ी होता, तो भी जाना वाजिब था
पर वह तो ना जानें कितने, बेजुबानों का हाफिज़ था
कीमत उसकी पैसों से, कर पाना...