...

5 views

प्रकृति
सकूंन कि तलाश में हम भटके यूं इधर उधर
पर जब पाया खुद को प्रकृति की गोद में तो पा लिया सारा जहां का सकूंन
भूल गए वो दिन भर की भागदौड़
ओर वो दिल में छुपी में सारी ही तकलीफों को
जब खो गए हम प्रकृति की गोद
पता नहीं क्या जादू था इसमेें
जो शांति थी प्रकृति में वो
शांति हमारे तन धन में भी छाई जब पाया हमने खुद को प्रकृति की गोद में
भूल गया जहां हमें
फिर दिल न किया
खुद को प्रकृति से जुदाई का
जब हमने पाया खुद को प्रकृति
की गोद में
सब तरह का सुख पाया मैंने इस प्रकृति की गोद में
तो कैसे भूलूं इसके ऋण को
क्योंकि मैंने सब पाया है प्रकृति की ही गोद में।