"फरेबी"
तुम जब ठहर नहीं सकती थी
तो तुम्हें आना ही न था,
तुम जब बरस नहीं सकती थी
तो तुम बादल क्यों बनी,
तुमने बंजर भूमि को सिर्फ
जलने को छोड़ दिया...
तो तुम्हें आना ही न था,
तुम जब बरस नहीं सकती थी
तो तुम बादल क्यों बनी,
तुमने बंजर भूमि को सिर्फ
जलने को छोड़ दिया...