...

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ज़िद्दी लड़का 🖤
जो लिख रहा वो अल्फाज है...!
अंदर छुपा कुछ जज्बात है...!!

लबों पर ये जो मुस्कान है...!
झूठी हँसी की ये पहचान है...!!

प्यार का ये एहसास कभी खत्म नहीं होता है...!
महबूब दूर भी रहे पर दिल में सदा रहता है...!!

चलों सारी मुसीबत उलझनें को ही खत्म कर देते है...!
एक चुटकी सिंदूर और मंगलसूत्र पहना के हम तेरे बन लेते है...!!

माथें को चूम कर रजा ए-मोहब्बत की थी...!
तब जा के ये दिल लबों की इजाजत दी थी....!!

हुआँ मोहब्बत तो ताउम्र निभा देना तुम...!
तकलीफ में देख साथ मत छोड़ देना तुम...!!

दिल के दर्द को सीने में दबा कर वो लिखता है...!
पूछो उन आशिकों से जो मिलों दूर रह कर मिलनो को तरसता है...!!

लग कर गले मैं तुमसे जी भर के रोना चाहूँ...!
ऐसा कोई रास्ता नहीं क्या जो तुम तक पहुँच पाऊँ...!!

अंधेरी रात के बाद देखो चाँदनी लौट आई है...!
आसमाँ से जैसे वो परी मेरे लिए जमी पर उतर आई है...!!

फ़क़त तेरा मेरा नाम मिलता जुलता एक जैसा है...!
तू अपने घर की रौशनी है , ये रौशन तेरे होने पर चमकता है...!!

थोड़ा दर्द , थोड़ा बैचैन और फिर आती तेरी याद है...!
साम को अकेले में तन्हाई से करते तेरी बात है...!!

ऐसा कोई धर्मस्थल नहीं जहां मैं तुझें मांगता नहीं हूँ...!
मंदिर का होकर भी मस्ज़िद के आगें सर झुकता हूँ...!!


© रौशन rosi...✍️🍁